पत्थरों के शहर में शीशे का एक मकान ,
सब लोग अच्छे हैं यहां, बस बुरा है भगवान ।
काफिरों की बस्ती में किसी ने नेकी कर डाली,
मुमकिन है यहां कोई पढ़ता है कुरान ।।
***आशीष रसीला***

पत्थरों के शहर में शीशे का एक मकान ,
सब लोग अच्छे हैं यहां, बस बुरा है भगवान ।
काफिरों की बस्ती में किसी ने नेकी कर डाली,
मुमकिन है यहां कोई पढ़ता है कुरान ।।
***आशीष रसीला***