दिल टूट कर बिखरा था अब जोड़ लिया हमने,
इश्क़ हाल पूछने आया था मुस्कुरा दिया हमने ।
बस दूर से ही नज़रों ने उनको घर तक छोड़ा, ,
अब की बार उनका पीछा नहीं किया हमने ।
वो मेरी आखिरी भूल थी जो मुझको याद है ,
फिर उसके बाद इश्क़ नहीं किया हमने ।
क्या हुआ अगर मुहब्बत की अदालत में हम मुज़रीम ठहरे ,
मगर दोस्तों की अदालत में मुक़दमा जीत लिया हमने ।।
***आशीष रसीला***
