मिजाज नाजुक हैं, मगर बातें दिल पर लगी ,
दिल साफ है उनका, ये बात हमको अच्छी लगी।
नज़रें टिकी थी महफ़िल की उनपर ,
खुदा की रहमत थी, जो निगाहें हमपर रुकी ।
उसने जिस्म मिला, मगर मुहब्बत ना हुई ,
ये बात उनसे ज्यादा, हमारे दिल पर लगी ।
जिसने हमको मांगा, हम उनको ना मिले ,
जिसको हमने चाहा वो हमको ना मिली ।
छोड़ आएं हैं जब से हसीनाओं की महफ़िल हम,
फिर उसके बाद रास्ते में हमें कोई दीवार ना मिली। ।
***आशीष रसीला***
