गम को ले कर सीने में किसी के पास ना जाया कर,
किसी के पूछे बिना ही यूं, दिल की बातें ना बताया कर।
जब दिल जले मोमबत्ती सा और आंखें मोम सी बहती हो,
हाथों में ले कर आईने को, मंद – मंद मुस्कुराया कर ।
भिखर ना जाओ फिर किसी हवा से टकरा कर,
अब से खुद को तूफानों में सजाया कर ।
ख़ुदा से मिलने का अगर कभी दिल करे,
किसी हंसते बच्चे से मिल आया कर।
आज जो कुछ भी है, सब कुछ ख़ुदा फ़ज़ल है,
हर बात पर खुद को यूं गुनेहगार ना बनाया कर ।
***आशीष रसीला***
