मैं सिर्फ एक फ़साना था, तेरे अफसानों में,
मैं सिर्फ के बहाना था, तेरे कई बहानों में।
मैं तेरा एक जाम था, खुदको महखाना समझ बैठा,
मैं भी बस एक चाहने वाला था, तेरे कई चाहने वालों में।
मैं जिदंगी का हिस्सा था, खुदको जिंदगी समझता रहा,
एक उम्र बीती है मेरी, खुद को ये बात समझाने में।
अब जब-तक जिऊंगा, खुद के साथ रहूंगा मैं,
एक अरसा लगा है मुझे, खुद के पास आने में ।।
***आशीष रसीला***

बेहद खूब!!
LikeLiked by 1 person
Bahut Bahut shukriyaa 🙏 ji
LikeLike
🙏🙏🤗🤗
LikeLiked by 1 person