
मेरी एक तमन्ना है, कि मैं फिर से बच्चा बन जाऊं,
मिट्टी में लेट कर माँ से कुछ सिक्के ले जाऊं।
ख़ुदा मुझे अमीरी का वो लम्हा बख्शे,
के बाप हाथ पकड़े और मैं पूरा शहर खरीद लाऊं।।
*** आशीष रसीला***
मेरी एक तमन्ना है, कि मैं फिर से बच्चा बन जाऊं,
मिट्टी में लेट कर माँ से कुछ सिक्के ले जाऊं।
ख़ुदा मुझे अमीरी का वो लम्हा बख्शे,
के बाप हाथ पकड़े और मैं पूरा शहर खरीद लाऊं।।
*** आशीष रसीला***
वाह ! क्या बात। लाजवाब।
कितना कष्ट होता है दो पैसे कमाने में,
बिल्कुल ही अनजान थे पापा के जमाने में।
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Waah
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Bahut acha mera post bhi jarur dekhe
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