मेरी कुछ अधूरी खाईशों को मेरे दिल से ले जा कर कहीं दूर रख दो।
तुम इस मरहम के साथ मेरे प्याले में थोड़ा ज़हर भी रख दो।
आज उसकी बाहों से लिपटकर मुझे सो जाना है,
तुम मेरे आखिरी महबूब का नाम मौत रख दो।
***आशीष रसीला***

मेरी कुछ अधूरी खाईशों को मेरे दिल से ले जा कर कहीं दूर रख दो।
तुम इस मरहम के साथ मेरे प्याले में थोड़ा ज़हर भी रख दो।
आज उसकी बाहों से लिपटकर मुझे सो जाना है,
तुम मेरे आखिरी महबूब का नाम मौत रख दो।
***आशीष रसीला***
KYA BAAT BHAI
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Superb.
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Bahut bahut shukriya ji
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