मजे जवानी में लूटो मगर बुढ़ापे को स्वीकार करो,
दुश्मनों से दुश्मनी रखो मगर अपनों से भी प्यार करो।
ये जरूरी नहीं की तुमने दिल लगाया तो वो भी लगाएगा,
मेरा मशवरा है यहां कि तुम एक तरफा प्यार करो।
सर झुका कर रखो खुदा की बंदगी में हमेशा,
मन्दिर-मस्जिद मत जाओ मगर खुदा का व्यापार ना करो।
मुझे मालूम है कि बुलंदियां छूने को दिल चाहता है तेरा,
मेरी गुज़ारिश है कि ख्वाब आसमां के देखो मगर जमीं का सौदा मत करो।
आशीष मत भूल की ये तेरा दौर है कल किसी और का आयेगा,
ये कुदरत एक धरोहर है तुम्हारे पास, तुम कुछ तो ख्याल करो।।
***आशीष रसीला***

Thk h bhai jaroor rkhunga khyal tum bhi rkhna
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Very Nice line
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