हर शाम जब सूरज थक कर एक पहाड़ के पीछे आराम फरमाता है,
उसी वक्त तारों का एक जत्था मजदूरी करने चांद पीछे आता है।
दिन सो जाता है रात जब जागकर पहरा देती है,
जमीं पर भी एक जुगनुओं का झुंड रोशनी करने निलकता है।
नींद में एक छोटा मासूम सा तारा उबासी लेने लगता है,
वहीं जमीं पर खड़ा एक शक्श उसके टूट कर गिर जाने की फरियाद करता है।
लड़खड़ाते पावों से एक बुजुर्ग तारा जमीं पर गिर जाता है,
उसे देख जमीं पर एक शक्श का ख्वाब पूरा हो जाता है।
***Ashish Rasila***
