अर्ज़ किया है की,
सो जाता है नींद की चादर ओढ़ कर वो किसी मखमल के बिस्तर का इंतजार नहीं करते,
वो मजदुर है जो सियासी रंजिशो में पड़कर देश की मिट्टी का सौदा नहीं करते।
वो बदल देता है अपने लहू को 2 वक़्त की रोटी में,
वो एक मजदूर ही है जो किसी काम को उसका मजहब पूछ कर नहीं करते।
***आशीष रसीला***
मजदूर दिवस की शुभकामनाएं !!!
