ऐ मेरे खुदा अगर तू है तो मेरा एक काम कर दे,
मेरी सारी खुशियां उसको दे कर उसके सारे गम मेरे नाम कर दे।
मुनासिफ है मेरे हाथ गलती से उठ सकते है उस पर,
तो इससे पहले तू मुझे अपाहिज कर दे
उसके सपनों में अगर कुछ कमी बाकी हो,
तो तू आज ही मुझे अपना गुलाम बना उसके सपने ताबीर कर दे।
मुझे मालूम है कि उसकी मौत भी आयेगी,
मेरी गुजारिश है कि मेरी जिदंगी ले कर उसको फरिश्ता कर दे।
मैं मुददत से तड़प रहा था ये इश्क़ पाने को,
तू उसे मेरी बाहों में दे कर मेरा इश्क़ मुकम्मल कर दे।
वो फुलों सी हंसती है नदियों सी चलती है हवाओं सी मुड़ती है,
ऐ मेरे खुदा तू तीनों चीजों की वसीयत उसके नाम कर दे।।
***आशीष रसीला***
