एक अरसे बाद खुद को खुद के बारे में बताया है।
मुददतों बाद मैंने खुद को खुद से मिलवाया है।।
डर है कि मैं खुद से ये पूछ ना बैठूं, की क्या करता हूँ?
वो मुझको मालूम है कि वो भी मेरी तरह हालातों का सताया है।।
एक अरसे बाद खुद को खुद के बारे में बताया है।
मुददतों बाद मैंने खुद को खुद से मिलवाया है।।
मैं अपाहिज था अक्ल से वरना आदमी समझ ही जाता है।
जो वक्त एक बार चला गया तो फिर कभी लौट कर नहीं आता है।।
मैं आदमी जात का हूँ जिसको सिर्फ दौड़ना होता है।
वक्त के साथ अपने कदमों को जोड़ना होता है।
तुमको तो मालूम है की मैंने कितना वक्त सिर्फ सोचने में गवाया है।
एक अरसे बाद खुद को खुद के बारे में बताया है।
मुददतों बाद मैंने खुद को खुद से मिलवाया है।।
हाल अब ऐसा है कि खुद को खुद पर तरस आता है।
पिछली बार खुल कर कब हंसा था, ये सोच कर ही रोना आता है।।
बाप सच में अमीर था जिसने बच्चपन को जन्नत कर दिया,
वरना मेरी औकाद में तो एक वक्त का खाना मुश्किल आता है।।
मैंने खुद पर खुदकी ज़िन्दगी ना जीने का आरोप लगाया है,
मैंने खुद को खुद से मुजरिम कहकर रूबरू करवाया है।
मेरे हालात को मैंने खुद ही ऐसा बनाया है।
मेरी हर हार मैं मैंने मेरी हार को जीतवाया है।।
एक अरसे बाद खुद को खुद के बारे में बताया है।
मुददतों बाद मैंने खुद को खुद से मिलवाया है।।
खुद को ढूंढ़ने का सफर में मंजिल का मिल पाना नमुमकिन से लगता है,
फिर भी एक अरसे बाद सफर पर निकलने को दिल करता है ,
खुद को खुद से मिलवाने को दिल करता है।
nice
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